गलती स्वीकार करने वाला बड़ा हो जाता है
गलती स्वीकार करने वाला बड़ा हो जाता है
गलती स्वीकार करना अर्थात् अपने अहम को छोटा करना। इसके लिए हिम्मत चाहिए , क्योंकि हर युद्ध युद्ध के मैदान मे नही जीती जाती,अधिकतर संघर्ष तो अपनी दिल की सच्चाई द्वारा अपने अहंकार को तोड़ कर जीती जाती है ।
इससे ही हम बड़े होते जाते हैं और दूसरों के दिल में भी अपना स्थान बना लेते हैं और उनके विश्वास पात्र बन जाते है।
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