स्थायी परिवर्तन
मनुष्य कर्ई बार अपनी भूलों को तो,आसानी से माफ कर देता है पर दूसरों की गलतीयों को पकड़ के रखता है कि इनको पूरा realise हों,इनका पूरा परिवर्तन हो।इनको पूरा महसूस हो हम पर जो बीती।हमारा कितना बड़ा नुक्सान हुआ,जब वह खुद उससे गुज़रे तब स्थायी (long lasting)परिवर्तन हो। बिल्कुल सही है, क्योंकि अपने साथ तो मनुष्य हमेंशा है,वह खुद ही अपने आप को सज़ा देकर अपने को हल्का कर लेता है,पर दूसरों का उसको पता नहीं इसलिए वह समय देता है कि यह पूरा महसूस करें,पूरा समझे आत्मिक भावों को, फायदे नुक्सान की परिभाषा को तब कुछ परिवर्तन हो वह भी स्थायी।
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