अपनी आंतरिक शक्तियों को बचाएं

 


हम सब आत्माऐं बाहरी नुकसान से तो वाकिफ हैं कि धन का नुकसान हुआ,समय का नुकसान हुआ ,पर क्या अपने आंतरिक नुकसान से भी वाकिफ हैं कि जब हम क्रोध करते है तो हम अपना और सृष्टि का कितना नुक्सान करते।

जब हम अपने थोड़े से अल्प काल के फायदे के लिए झूठ बोलते हैं,छल करते हैं,हम कितना अपने सत्य स्वरूप से विपरीत हो कार्य करते है जो हमारे आत्मसम्मान का घात करता है।

सच्ची समझदारी आज के समय में है कि हम अपनी आंतरिक शक्तियों को बचाएं जिससे ही जीवन है प्राण है। और दूर दूर तक फायदा है,प्राप्ति है और सम्मान है।

धन दिए,धन न खुटे ।

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