हम आत्मा है,मूल रूप में सम्पूर्ण पवित्र है। अभी इस पुरुषार्थी ब्राह्मण जीवन में सहज ज्ञान और राजयोग के द्वारा हम आत्मा की दैहिक वृतियों को खत्म कर रूहानी अभिमानी बन रहे है।
किसी ने अपने सफेद कागज पर बहुत-बहुत दाग लगाए, बार-बार लगाया मिटाया, तो असर पड़ेगा ? कोई एक दम कोरा कागज़ हो, और मिटाया,छुपाया दाग वाला कागज हो फर्क तो होगा ना। इसका सीधा असर विल पावर पर पड़ता है। इसलिए उन भूलों को फुलस्टॉप लगा कर सच्चे दिल से अपनी त्रुटियों का विकरण अब बाप को देना है । भले किसी से मदद लेनी पड़े, र अब परिवर्तन करना ही है खुद को।
अभी ठीक है पुण्य जमा है तो सीखने का समय है। पश्चाताप सजाओ का पीरियड(period)आये, उससे पहले अपनी राजधानी रॉयल फैमिली(family)तैयार हो जाए।इतनी सत्यता की शक्ति भर जाए, इतना निश्चय हो जाए बाप के आने जाने की गुह्य गति पर कि हम अपने भाग्य के रचयिता बन जाये कि कभी फ़रियाद न करनी पड़े, किसी की पूजा न करनी पड़े। और नीचा कार्य न करना पड़े। समान साथियों का अपना संगठन बन जाये।
अब झुकना न पड़े, किसी की पूजा न करनी पड़े। इसको भी कई उलटे रूप में ले लेते है,अभिमान के रूप में। हम क्यों
झुके किसी के आगे, अरे सेवा करेंगे, तो जिसकी सेवा करेंगे, और जिनके साथ करेंगे बड़े, छोटे और साथी उनके साथ नम्रता से ही चलेंगे ना। यह पारिवारिक स्नेह है, इसे दैवी गुण कहेंगे, यह झुकने से मान बड़ता है। यह सज़ा वाला झुकना नहीं है। इतनी बार झुका, इतनी बार शुभ सोचा, इतनी बार ऊंचा कर्तव्य किया, इतनी बार सहन किया, इतनी बार धैर्यवान हुआ, इतना एडजस्ट किया। मुझे क्या संपूर्ण सफलता प्राप्त होगी कभी।ये कब तक ठीक होगा। क्या ये जीवन है, मरते ही रहो, मुझे ही करना है। कितनी अटपटी बातें है। उलझन, परेशानी, मुंझ आदि का आहवान करते। बुद्धि काम नहीं करती। दलदल के पास पहुंच जाते, फसते चले जाते। फिर पुकारते, रड़ियां मारते, फिर क्या होता बाप को ही आना पड़ता बचाने।
हम यात्रा पर है।झण्डे गाड़ते हुए पड़ावों(milestones)को पार करते हुए चलते जाएंगे।फागी होती है न तो आगे रास्ता दिखाई नहीं देता, तो घबरा जाते है, पर इसमें तो साथी साथ है, घबराने की बात ही नहीं । यात्रा जरा लम्बी है, इसलिए थकना नहीं, डरना नहीं, चलते चलोगे तो मंज़िल पर पहुंच ही जायेंगे, बाहर की बातों से अपना कोई कनेक्शन नहीं हम तो अपनी यात्रा पर है । बातें हमको अनुभवी बनाती हैं। हमारी शक्तियों को बढ़ाती हैं, हमें सिखाती है। कहां लूज़ छोड़ना है बातों को,कहां सॉल्व करना है । कहां अपना अधिकार है, कहां अपना अधिकार नहीं है। कहां शक्ति दिखानी है, कहां स्वयं को समेट लेना है। यही सारा खेल है, कहां अपनी शक्तियों को इन्वेस्ट (invest) करना है। कहां स्वयं में फोकस हो जाना है। एक लैन्स की तरह अपना फोकस जिस बात पर होगा वह बढ़ेगी। ये तपना ज़रूरी है। नो शॉर्टकट टू सक्सेज(success)! ये हमारे जीवन के पेपर है, जिनको हमें पास करना है, हंसते हुए शान(dignity) से उदहारण स्वरूप बनना है।
इन्ही शुभ भावनाओ के साथ अपने परमपिता की याद में सभी को याद,प्यार ।
ॐ शान्ति