सुविचार
जो मनुष्य अपनी प्राप्तियों द्वारा सभी को सुख पहुंचाता है वो समय पर सभी के द्वारा सम्मान और सर्व प्राप्तियों का अधिकारी बन जाता है। समय पर सभी को सहयोग देने वाला व्यक्ति,जीवन में दुआओं के बल से सदा आगे बढता है। शुभ भावना एक ऐसा बल है, जो अनेक मुश्किल परिस्थितियों से पार कराने का सहज साधन है। जो व्यक्ति सभी को आगे बढ़ाता है,वह स्वयं पहले अपने आप में बहुत आगे निकल जाता है। छल कपट और वैर भाव मनुष्य की आंतरिक शक्ति और क्षमता का हनन करती है। अंदर एक और बाहर दूसरा,ऐसे व्यक्तित्व वाला व्यक्ति थोड़े समय के लिए तो जीवन में छोटी मोटी सफलता का अनुभव कर सकता है पर लम्बे काल मे जीवन की असल परिक्षाओं में जहां आपके चरित्र की परख होती है,वहां हार जाता है। अंतरात्मा की सच्चाई, मनुष्य के व्यक्तित्व को अंदर से निखारती है,इसका बाहृय दिखावे से कोई लेंन देन नहीं है। मनुष्य जीवन का असली खजाना , उसके जीवन में कमाई हुई शुभ भावनाएं है,जो कि उसके जीवन की असली पूंजी है। ईर्ष्या और घृणा मनुष्य को काला और शक्तिहीन बना देती है। सफलता पाने के लिए इनका सहारा लेना अर...