आध्यात्म द्वारा जीवन में समता
मनुष्य का स्वभाव है,कुछ न कुछ पकड़ने का अपनी पहचान बनाने का,अपने को उस गुड फीलिंग में रखने का। ये मन की आदत है ,कोई न कोई चीज़ को पकड़ने का और उसको मैं और मेरे के अंतर्गत ,लेने का
इससे वह सुरक्षित महसूस करता है। पर आध्यात्म हमे सिखाता है निश्चय बुद्धि बनो,मन के इस मानसिक खेल से छूटो(become No Mind ,conditioning से छूटो) । मन प्रयास करता है सब कुछ पा लू ,सब कुछ जान लू ,अपना प्रबंध कर लू ,सुरक्षित हो जाऊं। पर अध्यात्म कहता है सब कुछ पहले जान लेने से खेल का मज़ा ही ख़तम हो जाएगा। यह जीवन रियल नहीं रहेगा। जीवन में मिलने वाली शिक्षाएं, जीवन में गहरी नहीं समाऐंगी(Life is a school & we are all students) । जीवन में अचानक कुछ मिल जाए तो जो उसका मजा कुछ और ही होता है। उत्सुकता होती है, वह भी खत्म हो जाएगीी(Life is full of surprises & opportunities & we are here to enjoy every moment of life).साथ ही साथ हमारा यह जीवन सिर्फ हमारा नहीं बल्कि हम एक दूसरे पर निर्भर हैं सूक्ष्म रीति से, यह हमारे जीवन को संपूर्ण और सुंदर बनाता है।(Life is interconnected) जीवन में मानवीय मूल्यों को जिंदा रखता है, जीवन में आशाओं को, उमंगो को, रौशनी को, संगीत को जिंदा रखता है।(Life is a 🎶music & a Beautiful Dance 💃)हमारे संपूर्ण समाज को समता में लाता है। धर्म में विभाजन, राजनीतिक में खिंचा तान, परिवारों में मतभेद, समाज और देश की जो वर्तमान दशा है उसका कारण यह भिन्नता ही तो है, अमीर और अमीर होता जा रहा है, गरीब और गरीब हो रहा है , एक तरफ साक्षरता इतनी बढ़ गई है देश/विश्व तकनीको की ऊंचाइयों को छू रहा है, और दूसरी ओर किसी को प्राथमिक शिक्षा भी नहीं मिल रहीं, एक और लोग धर्म के नाम पर इतने बड़े बड़े संस्था चला रहे है। दूसरी ओर धर्म का मूल ही आम आदमी भूला हुआ है। एक और किसी मनुष्य के पास इतनी ताकत है ,सत्ता है जो अनेकों को प्रभावित कर सकता है। दूसरी ओर आम जनता को उसके नैतिक अधिकार भी सहज प्राप्त नहीं है । एक ओर परिवार का एक सदस्य सभी जिम्मेदारियों को उठाकर भी, दिन-रात अपनी नींद चैन का त्याग कर भी मेहनत में लगा हुआ है और दूसरी ओर अन्य सदस्य संगदोष के कारण अपने लापरवाह व्यवहार द्वारा बड़ों का आदर सम्मान रखना भी भूलते जा रहे हैं। ऐसी अनेक असमानताओं और भिन्नतायों को अध्यात्म द्वारा संयमित किया जा सकता है।
अध्यात्म के माध्यम से जीवन को संतुलित और संयमित किया जा सकता है। विचारों को महान किया जा सकता है। जीवन में प्रगति का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है। एक स्थाई, शाश्वत, सुखद जीवन की कल्पना की जा सकती है। भाईचारे और बंधुत्व भाव को बढ़ाया जा सकता है। एक धर्म, एक राज्य, एक कुल की स्थापना की जा सकती है। जो कि निि:संदेह स्वर्णिम भारत ही होगा, जिसकी कल्पना सभी महापुरुषों ने की, परमात्म शक्ति और आत्मिक शक्ति के द्वारा वह समय अब दूर नहीं जब हर मन में श्रेष्ठ विचार होंगे, सद् विचार होंगे, सभी श्रेष्ठ कर्म धारी, पुण्य आत्मा और पवित्र आत्मा बन जाएंगे और हमारा विश्व एक सुंदर स्वर्ग बन जाएगा।और यह सब संभव होने का एकमात्र उपाय है मन को आध्यात्म के माध्यम के द्वारा सही शििक्षा देना ,उसे ऊंचे विचारों में उठाना और योग/ध्यान के माध्यम से उसे सशक्त बनाना.
ओम् शांति
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