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Body language and interpersonal skills.

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  Body language and interpersonal skills. अगर हमारे अंदर अगर सत्यता है तो हम स्थिर होगें,अचल,अडोल (stable)होगें। Cool ,calm and confident होगें।अगर हम अंदर एक बाहर दूसरे होंगे तो हमेशा एक भय रहेगा पकड़े जाने का,संशय(doubt)रहेगा अपनी ही खुद की बातों पर,हर समय एक प्रकार की अनिश्चितता(insecurity)महसूस होगी। जिससे हमारा मन अनेक तरह के विचार करेगा,क्यों,क्या,कैसे,ऐसे,वैसे, सही,ग़लत। अगर हम सत्य है तो हमारे नयन स्थिर होगें,हाथ,पावं सब स्थिर होगें। यह सत्यता जुड़ी हुई है आत्मा के असली स्वभाव से,उसके मूल गुणों से। जिससे हम जो है जैसे है उसे वैसे दर्शाने से हमारे अंदर की अस्थिरता खत्म होगी। हमारी वाणी में conviction होगा, चेहरे पर तेज होगा।सत्यता आत्मविश्वास और निर्भयता को साथ लाएगी। और यही हमारे सम्पूर्ण व्यक्तित्व को आकर्षण(attractive)मय और चुंबकीय(magnetic )बनाएगा और हम जो कार्य करेंगे ,जो बोल बोलेंगे, जिससे मिलेंगे  हर जगह अपना अलग ही प्रभाव छोड़ेंगे।

Get rid of expectations

  दूसरे हमसे अलग है या गलत है।  संबंधो में हम expectations  रखते हैं तुम्हें मेरे according होना चाहिए,नहीं हो मतलब तुम wrong हो। ये भूल जाते वो एक soul है, individual है उसकी एक journey है,एक individual role है  जिसके according ही वो चलता हैं।  वो हमसे अलग है या वो wrong है ? दोनों बातों में फर्क है न।

बातों को paper समझना है

 बातों को paper समझना है, आपको पार करना है, stable रहना है।हिलना नहीं है।बात आई और गई। Calm, confident रहना है। बातों को दोष नहीं देना। बात ही ऐसी थी। अपने को powerful बनाना है।

जीवन की परिस्थितियो में ही हमें perfect बनना है

  जीवन की परिस्थितियो में ही हमें perfect बनना है सहनशक्ति,समाने की शक्ति, muscles है बुद्धि की(Mental muscles) हमें अपनी शक्तियों  को सक्रिय रखना है। challenges  का आह्वान करना है।  परिस्थितियां ही perfect बनने का साधन है।   तो हमें accurate कर्म जीवन मे रहते हुए,कर्म करते हुए ही सीखना है जिसमें अपने ध्यान (एकाग्रता)को केंद्रित रखना है और अपने अंदर निहित गुणों और शक्तियों को भी कार्य में लगाना है और हर जीवन की छोटी बड़ी परीक्षा में पास होना है ।

सुख और दुख अपनी ही creation है

 सुख और दुख अपनी  ही creation है। संकल्पों में है। अपने विचार बदल दो,तो कुछ नहीं है। हम बड़े बन जाते हैं, तो बातें छोटी हो जाती है।

परिस्थितियो को पार करें और आगे बड़े

 जो आ रहा है,ये पुराने किए हुए कर्मों का result है। नये कर्म करके,नये impressions बना कर,बातों को  पार करें और आगे बड़े।

गलती स्वीकार करने वाला बड़ा हो जाता है

  गलती स्वीकार करने वाला बड़ा हो जाता है  गलती स्वीकार करना अर्थात्‌ अपने अहम को छोटा करना। इसके लिए हिम्मत चाहिए , क्योंकि हर युद्ध युद्ध के मैदान मे नही जीती जाती,अधिकतर संघर्ष तो अपनी दिल की सच्चाई द्वारा अपने अहंकार को तोड़ कर जीती जाती है । इससे ही हम बड़े होते जाते हैं और दूसरों के दिल में भी अपना स्थान बना लेते हैं और उनके विश्वास पात्र बन जाते है।