जो मनुष्य अपनी प्राप्तियों द्वारा सभी को सुख पहुंचाता है वो समय पर सभी के द्वारा सम्मान और सर्व प्राप्तियों का अधिकारी बन जाता है।
समय पर सभी को सहयोग देने वाला व्यक्ति,जीवन में दुआओं के बल से सदा आगे बढता है।
शुभ भावना एक ऐसा बल है, जो अनेक मुश्किल परिस्थितियों से पार कराने का सहज साधन है।
जो व्यक्ति सभी को आगे बढ़ाता है,वह स्वयं पहले अपने आप में बहुत आगे निकल जाता है।
छल कपट और वैर भाव मनुष्य की आंतरिक शक्ति और क्षमता का हनन करती है।
अंदर एक और बाहर दूसरा,ऐसे व्यक्तित्व वाला व्यक्ति थोड़े समय के लिए तो जीवन में छोटी मोटी सफलता का अनुभव कर सकता है पर लम्बे काल मे जीवन की असल परिक्षाओं में जहां आपके चरित्र की परख होती है,वहां हार जाता है।
अंतरात्मा की सच्चाई, मनुष्य के व्यक्तित्व को अंदर से निखारती है,इसका बाहृय दिखावे से कोई लेंन देन नहीं है।
मनुष्य जीवन का असली खजाना , उसके जीवन में कमाई हुई शुभ भावनाएं है,जो कि उसके जीवन की असली पूंजी है।
ईर्ष्या और घृणा मनुष्य को काला और शक्तिहीन बना देती है।
सफलता पाने के लिए इनका सहारा लेना अर्थात अपनी वर्तमान प्राप्तियों के सुख से भी वंचित होना ।
सभी से सीखने वाला , झुकने वाला व्यक्ति अपनी क्षमता से कहीं अधिक प्राप्ति करता है और दूसरों को भी कहीं ज्यादा आगे बढ़ने के उमंग लाता है।
आपको समय पर सीखाने,सहारा देने वाले व्यक्तियों का हमेशा दिल से आभार माने,आभार की शक्ति आपकी अनेक सोई हुई क्षमताओं और शक्तियों को जागृत करेगी।
बीती बातों को विदाई देने का अर्थ है, उनसे सीख लेकर, भविष्य के लिए अपने को तैयार करना।
परिवर्तन की शक्ति से अपनी पास्ट की भूलों को ऐसा मिटा दो ,जैसे कभी थी ही नहीं।
स्नेह का अर्थ सिर्फ इतना नहीं है कि जिसे जो पसंद है, उसे वह दे दो,करने दो, बल्कि उनको उनके भविष्य के लिए, उनके जीवन में आने वाली अनेक परिस्थितियों के लिए उनको तैयार करना ही सच्चा स्नेह है।
दूसरों को सशक्त बनाने में अगर स्वयं को थोड़ा सहन भी करना पड़े,झुकना भी पड़े तो ये आपको अनेक ईश्वरीय शक्तियों का मालिक बना देगा।
प्रकृति द्वारा आए हुई चुनौतीयों को मास्टर प्रकृतिपति बन कर ऐसे जीत लो जैसे, ये प्रकृति आपकी सेवा में हाजिर हो और आपके order पर सब कार्य करती हो।
हार्ड को साॅफट बनाने में, आपको अंदर से सुपर साॅफट और सुपर हार्ड होना पड़ेगा जो कि आध्यात्म द्वारा ही संभव है।
आपकी वाणी एक ऐसा शस्त्र जो अनेक आत्माओं के कमजोरीयों के बंधन काट सकता है , उन्हें नयी जीवन जीने की राह दिखा सकता है, उनमें नयी उर्जा का संचार कर सकता है।
आपके अनुभव की शक्ति दूसरों को परिवर्तन होने की राह दिखाने में सक्षम है।
आपकी समर्थी सिर्फ आपके अपने तक नहीं सीमित है , बल्कि अनेकों के उत्थान के लिए है जो आपके आस पास है।
जीवन की परिस्थितियां चुनौती है,इनका आह्वान करने वाला ,इन पर जीत पाने वाला
व्यक्ति ही महावीर है,शिव शक्ति है।
इंतजार में समय गंवाने वाला व्यक्ति कमजोरियों का आह्वान करता है और अपने भाग्य से भी वंचित हो जाता है।
निस्वार्थ भाव से किए हुए कर्म जीवन को चमकाते हैं और जीवन की शान को बढ़ाते हैं।
अपने स्वयं का टीचर बन स्वयं को पढ़ाने वाले अपने साथ अनेको के लिए पुण्य की पूंजी जमा कराने के निमित्त बनता है ।
किसी की भलाई के , सन्मार्ग पर लाने के लिए किए गए कर्म श्रेष्ठ है भले ऐसे कर्मों को कितने opposition का सामना क्यों न करना पड़े।
आपकी सत्यता आपका सुरक्षा कवच है जो आपकी हर कठिन परिस्थिति में बचाव करेगी।
आपके कर्म करने के पीछे का भाव, आपके और अनेकों के कर्म फल को निर्धारित करता है।
आपका हर कर्म श्रेष्ठ कर्म बन सकता है,सेवा का कर्म बन सकता है,अगर आपके कर्म करने का भाव स्पष्ट है आपके आगे। लोक कल्याण,जन कल्याण।
आपके कर्म अमूल्य है।आपका मूल्यवान खजाना है,इनका फल,अनेक जन्मों तक प्राप्त होता है,अगर समझ से किए जाए।
श्रेष्ठ कर्म आपको न्यारा होने की शक्ति देते हैं बल्कि गलत कर्म आपको बांध देते हैं और भटकन का अनुभव कराते हैं।
श्रेष्ठ उद्देश्य से किए हुए कर्म, श्रेष्ठ प्राप्ति का अनुभव कराते हैं जो कि अनेक हद के बंधनो से छुड़ा देती है।
अपने भीतर छिपे हुए अभिमान को नष्ट करने वाले और मानव को दिव्य बनाने वाले कर्म ही मानव की सच्ची सुंदरता है।
भौतिक प्राप्तियों का अहंकार ,मानव को सच्ची आत्मिक शांति और परोपकार के सुख से वंचित कर देती।