अपनी आंतरिक शक्तियों को बचाएं(Save your inner Powers)
हम सब आत्माऐं बाहरी नुकसान से तो वाकिफ हैं कि धन का नुकसान हुआ,समय का नुकसान हुआ ,पर क्या अपने आंतरिक नुकसान से भी वाकिफ हैं कि जब हम क्रोध करते है तो हम अपना और सृष्टि का कितना नुक्सान करते।
जब हम अपने थोड़े से अल्प काल के फायदे के लिए झूठ बोलते हैं,छल करते हैं,हम कितना अपने सत्य स्वरूप से विपरीत हो कार्य करते है जो हमारे आत्मसम्मान का घात करता है।
सच्ची समझदारी आज के समय में है कि हम अपनी आंतरिक शक्तियों को बचाएं जिससे ही जीवन है प्राण है। और दूर दूर तक फायदा है,प्राप्ति है और सम्मान है।
धन दिए,धन न खुटे ।
हम सब आत्माऐं बाहरी नुकसान से तो वाकिफ हैं कि धन का नुकसान हुआ,समय का नुकसान हुआ ,पर क्या अपने आंतरिक नुकसान से भी वाकिफ हैं कि जब हम क्रोध करते है तो हम अपना और सृष्टि का कितना नुक्सान करते।
जब हम अपने थोड़े से अल्प काल के फायदे के लिए झूठ बोलते हैं,छल करते हैं,हम कितना अपने सत्य स्वरूप से विपरीत हो कार्य करते है जो हमारे आत्मसम्मान का घात करता है।
सच्ची समझदारी आज के समय में है कि हम अपनी आंतरिक शक्तियों को बचाएं जिससे ही जीवन है प्राण है। और दूर दूर तक फायदा है,प्राप्ति है और सम्मान है।
धन दिए,धन न खुटे ।
All of us souls are aware of the external loss, the loss of wealth, the loss of time, but are we also aware of our internal loss, how much damage we do to ourselves and to creation when we are angry.
When we lie, deceive, and act contrary to our true nature for our own little short-term gain, it kills our self-esteem.
True wisdom in today's time is to save our inner energies so that life is life. And far and wide there is benefit, there is attainment and there is respect.
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