Sunday, May 31, 2020

आत्मनिर्भर व्यक्ति की पहचान




 दुख और सुख तो सभी पर पड़ते हैं इसलिए अपना पौरूष मत छोड़ों क्योंकि हार-जीत तो केवल मन के मानने अथवा न मानने पर ही निर्भर होती है।
स्वावलंबी मनुष्य सफलता या असफलता की परवाह किए बिना अनवरत प्रयासरत रहते हैं और बाधाओं, विघ्नों को चीरते हुए अपना मार्ग प्रशस्त करते जाते हैं।कंटाकाकीर्ण पथ पर दृढ़ता से आगे बढ़ते जाते हैं।
पथ के शूल उनके कदमों को रोक नहीं पाते और अंतत: सफलता उनका वरण करती है।

स्वावलम्बी या आत्मनिर्भर व्यकित ही सही अर्थो में जान पाता है कि संसार में दुःख पीड़ा क्या होते है तथा सुख- सुविधा का क्या मूल्य एव महत्त्व हुआ करता है |वह ही समझ सकता है कि मान अपमान किसे कहते है ? अपमान की पीड़ा क्या होती है ? परावलम्बी व्यक्ति को तो हमेशा मान-अपमान की चिन्ता त्याग कर , व्यक्ति होते हुए भी व्यक्तित्वहीन बनकर जीवन गुजार देना पड़ता है | एक स्वतंत्र व स्वावलम्बी व्यक्ति ही मुक्तभाव से सोच-विचार कर के उचित कदम उठा सकता है | उसके द्वारा किए गे परिश्रम से बहने वाले पसीने की प्रत्येक बूंद मोती के समान बहुमूल्य होती है | स्वावलम्बन हमारी जीवन – नौका की पतवार है | यह ही हमारा पथ – प्रदर्शन है | इस कारण से मानव – जीवन में इसकी अत्यन्त महत्ता है |



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