Sunday, May 31, 2020

ब्रह्मचर्य आश्रम



इस आश्रम में व्यक्ति होश सम्भालने के बाद गुरु की सेवा में संयम व अनुशासन पूर्वक रहते हुए उचित एव योग्य हर प्रकार की विद्दाओ का अध्ययन करके अपने भावी जीवन में प्रवेश की उचित तैयारी करता था | इस प्रकार सभी सांसारिक प्रभावों से मुक्त और निर्लिप्त रहना ही ब्रह्मचर्य है |
जीवन का यह भाग सीखने और भविष्य की तैयारी का आधार माना जाता है इसमें इन्द्रीय –संयम ,
मन पर काबू रखना , व्यर्थ के माया – मोह, विषय-वासना और भोग-विलास से दूर रहने की शिक्षा पर अधिक बल दिया जाता था,इस अवस्था में दी गई शिक्षा के आधार पर शेष जीवन स्वत: ही अनुशासित रहता था | जीवन में नग्नता व अश्लीलता नही आ पाती थी |

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