करूणा रक्षा में सहायक है – भगवान ने करूणा की भावना मनुष्य को इसलिए दी है ताकि यह संसार बना रहे |
अगर कोई राक्षस किसी बेकसूर को मारे, या किसी की रोटी छीने तो यह करूणा आदमी को प्रेरणा देती है कि बेकसूर की रक्षा हो | न्याय की रक्षा करना धर्म है |
दयावान किसी को कष्ट में देखकर चुपचाप नहीं बैठ सकता | उनकी आत्मा उसे मज़बूर करती है कि दयावान दया करने से पहले अपना हानि-लाभ निश्चित करे |
यहाँ तक कि वह किसी के प्राण बचाकर भी उसके बदले उससे कुछ नहीं चाहता | दया निस्वार्थ ही होती है |
करुणा से महानता की ओर – संसार में जितने भी महान इन्सान हुए हैं, सबके जीवन में करूणा का अंग अवश्य रहा है | भगवान बुद्ध ने राजपाट छोड़कर दुखी लोगों के दुःख दूर करने में अपना जीवन लगा दिया | नानक ने संसारिकता त्यागकर ही महानता अर्जित की |
गाँधी जी ने अपनी वकालत त्यागकर देशवासियों के लिए कर्म किया, तभी सारे देश ने उन्हें अपना बापू माना | वास्तव में जब भी कोई व्यक्ति अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर जनहित का आचरण करता है, वह हमारे लिए पूज्य बन जाता है |
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